इलाहाबाद हाईकोर्ट का कहना है कि परिवार न्यायालय में मामला लंबित होने के दौरान बच्चे से मुलाकात के अधिकार के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। न्यायमूर्ति डॉ.योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की कोर्ट ने कहा, बच्चे से मुलाकात के लिए परिवार न्यायालय में उचित आवेदन दिया जा सकता है।

पति-पत्नी के बीच विवाद के दौरान बच्चे से मुलाकात के लिए दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में याची की ओर से अधिवक्ता हेमलता श्रीवास्तव तथा शासकीय अधिवक्ता सौरभ कुमार पांडेय ने पक्ष रखा। मामले में आजमगढ़ के मिथिलेश मौर्या की पत्नी 19 अगस्त18 से उनसे अलग रह रही हैं। बेटी मां के साथ रहती है।

पति और पत्नी के बीच तलाक की कार्रवाई पारिवारिक न्यायालय के समक्ष लंबित है। याची के वकील ने कहा, याची मुलाकात का अधिकार चाहता है। वहीं, प्रतिवादी के वकील ने कहा, दोनों पक्षों के बीच परिवार न्यायालय में मुकदमा लंबित है। ऐसे में वर्तमान याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

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